नमस्कार दोस्तों आजकल दिल्ली और यूपी मैं हर तरफ स्मॉग फैला हुआ है पहले के समय में कोई स्मॉग शब्द जानता भी नहीं था परंतु अब इसका इतना प्राकोप बढ़ गया है कि हर किसी की जुबान पर इसका नाम है। साथ ही यह इतना खतरनाक है की सब पर असर डालता है दिल्ली और एनसीआर में इसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं जिसकी वजह से बच्चों का स्कूल जाना भी बंद हो गया है पॉल्यूशन का स्तर जब हद से ज्यादा बढ़ जाता है उसे स्मोग कहते हैं धुंध और कोहरे को मिलाकर स्मोग बनता है। स्मॉग एक प्रकार का वायु प्रदूषण है मुख्यतः देखा जाता है कि यह बड़े शहरों और जहां फैक्ट्री की अधिकता है वहां देखा जाता है स्मोग का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है यह सांस लेने वालों में कठिनाई, अस्थमा, हृदय रोग, टीवी और फेफड़े संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है इसके अलावा इसकी अधिकता हो जाने पर देखने में भी समस्या आ सकती है यातायात दुर्घटनाओं में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है आज हम अपने लेख में आपको स्मोग से जुड़ी परेशानियों से निपटने का उपाय बताएंगे जिसकी सहायता से काफी हद तक आप इससे छुटकारा पा सकते हैं
तो दोस्तों अगर आपको फेफड़ों को सुरक्षित रखना है तो आज से ही यह उपाय शुरू कर दें
स्मॉग के कारण
1.गाड़ियों से निकलने वाला धुआं जिस में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य तरह-तरह के हानिकारक गैसें होती हैं यह स्मोग पैदा करने का मुख्य कारण है।
2.अत्यधिक फैक्ट्रियां और उद्योग हो जाने के कारण उनसे असीमित मात्रा में धुआं निकलता है जो की पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है जिसके कारण भी स्मोग फैलता है।
3.तरह-तरह की चीजों को जलाना जैसे लकड़ी, उपले, पराली और खेती से जो अपशिष्ट वस्तुएं निकलती हैं उनको जलाने से भी स्मोग फैलता है।
4.आजकल बड़े-बड़े शहरों में लगातार घरों के निर्माण हो रहे हैं जिससे निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और कण वायु प्रदूषण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5.कई बार प्राकृतिक कारणों की वजह से जैसे जंगल की आग, जो कि अपने आप लग जाती है, यह भी एक बहुत बड़ा वायु प्रदूषण और स्मॉग का कारण बनती है।
स्मॉग का प्रभाव
अधिकतर देखा जा रहा है की स्मोग का प्रभाव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर होता जा रहा है यहां हम इसके कुछ प्रभावों पर विवरण करेंगे।
1.स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्मोग में मौजूद छोटे-छोटे कण फेफड़ों में जाकर जमा हो जाते हैं जिसके कारण अस्थमा टीवी और श्वसन संबंधी बीमारियां हो जाती हैं फेफड़ों की कार्य क्षमता कम हो जाती है जिससे सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है लंबे समय तक अगर स्मोग के संपर्क में रहते हैं तो कैंसर होने का भी खतरा बढ़ जाता है इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या हो जाने का डर रहता है समय-समय पर आंखों में जलन ,पानी आना ,गले में खराश स्मॉग की वजह से यह सब समस्याएं सामने आती रहती हैं।
2.पर्यावरण पर प्रभाव
स्मोग की वजह से पर्यावरण पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है इसके कारण पौधों की पत्तियों पर स्मॉग जमा हो जाती हैं जिनके कारण इनकी वृद्धि में बड़ी कठिनाई आती है स्मॉग ग्लोबल वार्मिंग को भी बढ़ावा देता है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है जलीय जीवन के लिए भी यह बहुत हानिकारक है जिसे मछलियां और अन्य जीवों की मृत्यु हो जाती है।
3.अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
स्मॉग के कारण अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है कामकाज के दिन भी लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि इसकी वजह से लोग या तो बीमार हो जाते हैं या घर से निकलना नहीं चाहते, जिसकी वजह से उत्पादकता में कमी आती है और आर्थिक नुकसान होता है स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने पर चिकित्सा के खर्चे में वृद्धि होती है जो की आर्थिक बोझ व्यक्ति पर पड़ता है।

स्मोग को दूर करने के उपाय
1.स्मॉग अधिक हो जाने पर व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए कि अपने वाहनों का उपयोग कम करें और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ा दे अगर उसके पास इलेक्ट्रिक वाहन है तो उसका उपयोग कर सकता है वहन के इंजन को बेवजह चालू न रखें बिजली की खपत कम करने के लिए अनावश्यक लाइटें और उपकरण बंद रखें स्वास्थ्य का सबसे ज्यादा ध्यान रखें स्मॉग होने पर बाहर जाने से बचे। खासकर सुबह और शाम ।जब भी बाहर जाए तो मास्क का प्रयोग अवश्य करें। हो सके तो घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
2.स्मोग से बचने के लिए पेड़ लगाने का अभियान चलाना बहुत आवश्यक है जितना हो सके अधिक से अधिक खुद भी पेड़ लगाए और दूसरों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करें। कचरे को जितना हो सके जलाने से बचे। कचरे की रीसाइकलिंग में बढ़ावा दे। लोगों को स्मोग के बारे में लोगों को जागरूक करें अपनी स्वच्छता और स्वास्थ्य पर बहुत अधिक ध्यान दें।
3.स्मोग को कंट्रोल करने के लिए वायु को शुद्ध करने की नई-नई तकनीक को सीखना चाहिए। उन तकनीकों का विकास करें जो कि प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकती हैं समय-समय वायु की गुणवत्ता की निगरानी करें और जनता को सचेत करे।
स्मोग के प्रभाव को कम करने के लिए इन उपायों का पालन करना आवश्यक है इन उपायों को अपना कर ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है तभी एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण रह सकता है।
निष्कर्ष
प्रस्तुत लेख में हमने स्मॉग एक जटिल समस्या के बारे में वर्णन किया है जो कि आजकल हर तरफ खास कर दिल्ली और यूपी में फैला हुआ है अगर इसको दूर करने के लिए अभी कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में यह जटिल समस्या और अधिक जटिल हो जाएगी ।इसलिए हम लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि वह सब मिलकर इस समस्या का निपटारा करें और एक स्वच्छ वातावरण अपने लिए और अपने बच्चों के लिए तैयार करें आपको मेरा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं।
FAQs
प्रश्न1-स्मॉग किसका मिश्रण है?
उत्तर-जब कई तरीके के प्रदूषण एक साथ मिल जाते हैं और उनका मिश्रण हो जाता है तो स्मोग का निर्माण होता है इसके अंदर कई तरीके की गैसें होती हैं जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड ,कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि।
प्रश्न2-स्मोग कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-मुख्यता स्मोग दो अलग-अलग प्रकार के होते हैं एक सल्फर युक्त स्मॉग और दूसरा प्रकाश रासायनिक स्मोग।
प्रश्न3-फाॅग और स्मॉग में क्या अंतर है?
उत्तर-पानी की बूंद के कारण फाॅग होता है जबकि स्मॉग धुआं और कारण शामिल होने के कारण होता है फाॅग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है जबकि स्मोग के संपर्क में आने से अस्थमा और फेफड़ों की समस्या हो जाती है।
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